मेरा नाम कोमल बुंकर है, मैं जयपुर से हूँ। मेरे पिता निर्माण स्थल पर मजदूर के रूप में काम करते हैं जो दैनिक आधार पर पैसा कमाते
हैं, जिसके कारण घर का सारा खर्च पूरा नहीं हो पाता है। मेरी मां हाउस मेकर हैं। मेरा 1 छोटा भाई और 2 छोटी बहनें हैं।
मैंने आर्थिक तंगी के कारण आठवीं तक पढ़ाई पूरी की। मैं चाहती हूं कि मेरी बहनें अपनी पढ़ाई पूरी करें। मेरा छोटा भाई एक कांच की
फैक्ट्री में काम करता है और पिता की मदद करता है, उसे देखकर मैंने अपने भाई की तरह काम करने और अपने पिता की सहायता
करने का फैसला किया।
मेरी शैक्षणिक योग्यता कम होने के कारण मुझे नौकरी नहीं मिल पाई थी। एक दिन मैंने अपने भाई को देखा, वह घर पर पानी की
मोटर को सुधार रहा था लेकिन उसे ठीक नहीं कर पा रहा थी । मैंने उससे कहा कि मुझे भी करने दो, फिर थोड़ी देर में मैंने उसे ठीक
किया, मैंने अपने पिता को कई बार मोटर ठीक करते देखा था। मोटर को चलता देख मैं बहुत खुश हुई । और मुझे अपना भविष्य बनाने
का एक नया रास्ता मिल लगा।
मैंने इलेक्ट्रीशियन के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया । एक दिन मुझे पैम्फलेट के माध्यम से स्वयं प्रशिक्षण केंद्र के बारे में पता चला, मैंने केंद्र का दौरा किया और पाठ्यक्रम के बारे में सारी जानकारी एकत्र की। मैंने असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन कोर्स में एडमिशन लिया। 2 महीने का प्रशिक्षण (थ्योरी और प्रैक्टिकल) पूरा करने के बाद और निर्माण स्थल पर अपनी ओ जी टी पूरी करने के बाद , स्वयं प्लेसमेंट टीम ने जयपुरिया टेक्सटाइल्स में मेरा साक्षात्कार आयोजित किया। मेरा चयन सहायक इलेक्ट्रीशियन के रूप में हुआ है और मेरा वेतन 7,000/- है।
मेरे पिता को मुझ पर बहुत गर्व है और अब मैं अपने भाई की तरह अपने परिवार को चलाने में अपने पिता की मदद कर रही हूँ। मैं सभी लड़कियों को इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित करती रहूंगी ।
मैं आरपीजी फाउंडेशन, केईसी इंटरनेशनल और सरस्वती संस्थान को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद कहना चाहती हूँ ।